बुधवार, 14 सितंबर 2016

Niagara Falls

I went there last year in May and want to tell you guys that the view was amazing. This is an awesome place to visit. You can make a boat trip across the river. Some people say that the view from Canadian side is way better than the American side, but who cares, because what I saw from this side was very beautiful.

शुक्रवार, 24 जून 2016

GRRR....What is this babyyyyyyy.. :(

मुझे लेज़ बहुत पसंद हैं। जब भी कोई नया फ्लेवर मार्केट में आता है तो ये मेरे लिए वो फ्लेवर ले आते हैं। इन्हें तो सिर्फ पौष्टिक खाना ही पसंद है। स्वाद में कैसा भी हो पर स्वास्थ के लिए अच्छा होना चाहिए। इनकी और मेरी फ़ूड हैबिट्स कहीं से मैच नहीं करती। जैसे ये वेजीटेरियन हैं और मैं नॉन-वेजिटेरिअन। यहीं से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं। पर एक बात इनमे बहुत अच्छी है वह यह कि ये कभी मुझे नॉन- वेज खाने के लिए मना नहीं करते। मुझे लगता है मैं कुछ ज्यादा की इमोशनल हो गई। मुझे तो इनकी बुराई करनी थी और मैं तारीफ करने लग गई। यह मुझे चिड़ाने का कोई मौका नहीं छोड़ते। पता है इन्होने क्या किया? बताऊँ क्या आप अपनी आँखों से ही देख लीजिये। फिर भी चलिए थोड़ा हिंट दे ही देती हूँ। सोचिये जब कभी आपको कोई चीज़ खाने का बहुत मन करे और आपको पता हो कि वह चीज़ घर में ही है तो आप खुश हो जायेंगे और सोचेंगे क्यों न थोड़ा सा खा ही लिया जाए पर जब पैकेट खोलकर कुछ ऐसा दृश्य देखने को मिले तो आप क्या करेंगे? यह रहा इनका कारनामा----




उस समय मुझे गुस्सा तो बहुत आया पर क्या करती सामने होते तो बताती। गुस्सा इस बात का नहीं था कि इन्होने खाया, गुस्सा तो इस बात का था कि इन्होने मुझे चिड़ाने के लिए जान बूझ कर ऐसा किया। बाद मैं इनके घर आने पर हमलोग बहुत हँसे। :)

शुक्रवार, 17 जून 2016

इनकी एक और नई शैतानी।

वैसे तो छुट्टी के दिन हम कभी घर में रहते नहीं। लेकिन कभी घर में रह गए तो अक्सर दिन में खाना खाने के बाद सो ही जाते हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि इनको नींद आ जाती है पर मुझे नहीं आती तो मैं टी.वी देखने लगती हूँ या कभी टी.वी देख कर बोर हो जाती हूँ तो अपने फ़ोन में गेम्स खेलने लगती हूँ। लेकिन सोचिए जब इनको नींद नहीं आती होगी तो ये क्या करते होंगे? अब बताऊँ क्या आप ख़ुद ही देख लीजिए-

और किसी दिन अगर यह मुझसे जल्दी उठ गए तो भी मेरी खैर नहीं। तब भी मेरे दोनों हाथों में गानों से लेकर मेरे पति का नाम, एड्रेस और हमने आज क्या क्या खाया सब लिखा मिलता है। 

एक दिन तो हद्द ही हो गई। पेन से मेरी मूँछ बना रहे थे और मेरी नींद खुल गई तो घबरा के बोले तुम्हारी upper lip बना दूँ? आज तुम्हारा फेशियल कर दूँ? हा हा हा.... कुछ भी बोल रहे थे डर गए थे बेचारे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि उन्हें क्या रिएक्शन मिलने वाला है। मैंने भी बोला कर दो... और पता है उन्होंने किया भी :)

शुक्रवार, 3 जून 2016

किस्से-कहानियाँ |

अगर कोई अमेरिकन पूछता है कि तुम्हें अमेरिका में क्या पसन्द है तो समझ नहीं आता कहाँ से शुरू करूँ और कहाँ पर ख़तम। यहाँ पर बुरा लगने जैसा तो कुछ है ही नहीं। सबकुछ अच्छा ही लगता है। यहाँ पर अपार्टमेंट में बीच-बीच में इंस्पेक्शन होते रहते हैं जिसमे जाँच करने वाले लोग देखते हैं कि घर के सारे उपकरण सही से कार्य कर भी रहे हैं या नहीं। प्रमुख रूप से अग्नि चेतावनी की घंटी (fire alarm) को जाँचा जाता है। यहाँ पर मकान लकड़ी के बने होते हैं जिसके कारण थोड़ी सावधानी बरतनी पड़ती है। यह लोग सूचना देकर ही घर पर आते हैं।
आज मेरी यूनिट में इंस्पेक्शन था। एक दिन पहले मुझे नोटिस मिल गया था कि वह लोग कल आने वाले हैं। सवेरे से थोड़ा बहुत घर साफ़ किया, आखिर हूँ तो मैं भारतीय ही :) घर तभी सही से साफ़ होता है जब कोई मेहमान आने वाला हो। यहाँ पर नोटिस वाला सिस्टम बहुत अच्छा है। अवसर कोई भी हो एक नोटिस आपके दरवाज़े में चिपका ही देते हैं जैसे-
यह तब, जब उन्हें आपके घर में नहीं आना होता। 
घर में आने के लिए कुछ ऐसा नोटिस होता है। 
यह मेरा प्रिय नोटिस है। 
हर महीने नऐ फन फैक्ट्स के साथ ऐसा नोटिस देखने को भी मिलता है। जो मुझे सबसे ज़ादा पसंद है। खैर बात तो इंस्पेक्शन की चल रही थी। दरवाज़े की घण्टी बजी.......मैंने बाल्कनी  से देखा तो एक जाँचकर्ता हाथ में कुछ पन्ने लिए खड़ा था। आप सोच रहे होंगे मैंने बालकनी से क्यों देखा? सीधे दरवाज़ा क्यों नहीं खोला? इसका जवाब भी है मेरे पास।

अब आप समझ ही गए होंगे कि जब-जब मैं इन सीड़ियों को देखती हूँ तो थोड़ी हैरान-परेशान सी हो जाती हूँ। जब भी घण्टी बजती है तो छोटे- मोटे काम में अपनी बालकनी से ही निपटा लेती हूँ। पर यह काम बालकनी से निपटने वाला नहीं था। इसके लिए मुझे नीचे जाना ही पड़ा।

यहाँ के लोग बहुत बातूनी होते हैं जितना काम करते हैं उतनी ही बातें। जाँचकर्ता से आज बड़ी मज़ेदार बातें हुईं। घर के अन्दर आते ही उसने मुझसे कहा-"मसाले की खुशबू आ रही है क्या बनाया है लंच में? " जानते हुए भी मैं एक पल के लिए गड़बड़ा गई कि मसाला हिंदी का शब्द है या इंग्लिश का.....फिर मैंने उसे समझाया कि मैंने आज दाल-चावल बनाया है।

उसका दूसरा प्रश्न था, "आप कहाँ से हैं ?" मैंने उसे बताया कि मैं भारत से हूँ।" फिर उसने पूछा मेरी फर्स्ट लैंग्वेज क्या है? क्योंकि भारत में तो बहुत सी भाषाऐं बोली जाती हैं। मैंने भी गर्व से बोला हिंदी।अब वह मुझसे हिंदी में कुछ सुनना चाहता था। वह जानना चाहता था कि हिन्दी सुनने में कैसी लगती है। मैंने उसे बोला आप कुछ इंग्लिश में बोलिए और मैं उसे हिंदी में ट्रांसलेट करती हूँ। सोचिऐ उसने क्या बोल होगा? उसने बोला "Dogs are cool" और मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखने लगा। अब वह मेरे जवाब का इंतजार कर रहा था और मैं मन ही मन सोच रही थी कि इसे मेरे मुँह से कुत्ता शब्द ही सुनना था। मैंने भी मुस्कुराते हुऐ बोला कुत्ते अच्छे होते हैं। वह मेरे पीछे-पीछे बोला, " खुट्टे अट्टे होटे हे" हा हा हा.....सच कहूँ तो उसके मुँह से हिन्दी सुनने में बहुत मज़ेदार लग रही थी। क्या करें हमारी भाषा है ही इतनी अच्छी कोई भी बोले क्यूट ही लगती है। मैंने उसे बताया जैसे आप लोग hi/hello बोलते हो वैसे ही हम लोग नमस्ते बोलते हैं और भी बहुत सी बातें मैंने उसे बताई। बन्दा हिन्दी भाषा से ऐसा प्रभावित हुआ कि जाते समय ख़ुद से ही दरवाज़ा लॉक करके चला गया और मुझ आलसी की नीचे जाने वाली मेहनत बच गई। 

सोमवार, 16 मई 2016

Fan

यहाँ पर ना तो फैन मूवी की बात होने वाली है और ना ही पंखे की। यहाँ तो बस उस फोटो की बातें होंगीं जो मैंने कल यूँही लेली थी। कल मैंने दो फोटो लीं जिसमें पहली फोटो को ध्यान से देखा तो पता चला के हम अनजाने में ही सही पर HP के फैन हैं और
दूसरी फोटो को देखा तो पता चला कि अब हमलोग धीरे-धीरे APPLE के फैन होते जा रहे हैं। :)

शुक्रवार, 13 मई 2016

झट-पट लाल मिर्च का अचार (Instant red chilli pickle)


यूँ तो लाल मिर्च का अचार बनाने की कई विधियाँ हैं पर आज मैं आप लोगों को इस अचार को बनाने कि सबसे सरल विधि के बारे में बताने जा रही हूँ।

सामग्री:
6-8 Red peppers (बड़ी और मोटी लाल मिर्चें) 
4 Green chilli (तीखी हरी मिर्चें)
4 tbsp Readymade pickle masala (यहाँ पर मैंने अशोक मसाला इस्तमाल किया है। आप शान या कोई भी ब्रैंड का मसाला इस्तमाल कर सकते हैं।)
1 tbsp Amchoor powder
1/4 cup Mustard oil
3 tbsp Lemon juice
Salt to taste

बनाने की विधि:
१- लाल व हरी मिर्चों को अच्छे से धो लें और इन्हें साफ़ कपड़े से पोछ लें। याद रखें थोड़ा सा भी पानी अगर रह जाता है तो आचार ख़राब हो जाता है।
२- लाल मिर्चों को लम्बा-लम्बा काट लें और हरी मिर्चों को बारीक काट लें।
३- कड़ाही में तेल गरम होने पर उसमें कटी हुई लाल मिर्च डाल कर उसे तब तक मध्यम आँच में चलाएं जब तक मिर्चें थोड़ी नरम न हो जाऐ।
४- अब इसमें बारीक कटी हुई हरी मिर्च डाल दें।
५- थोड़ी देर चलाने के बाद इसमें अचार मसाला व अमचूर पाउडर मिला कर इसे दो से तीन मिनट तक पकाऐं। ध्यान रखें ज़ादा पकाने से मसाला जल सकता है। अन्त में इसमें नीबू का रस मिला लें तथा इसे हल्की आँच में ढक कर तब तक पकाएं जब तक मिर्चें नीबू का रस सोख न लें।
६- इस लाल मिर्च के अचार को आप एक कटोरे में निकाल के फ्रिज में रख सकते हैं। अगर आपकी मिर्चें सही से सूखी ना हो तो भी फ्रिज में रखने से वह ख़राब नहीं होंगी।

रस (Rus)


रस को अंग्रेजी में सूप कहना ही सही होगा क्योँकि इसे उस पानी से बनाया जाता है जिसमे दालों को उबाला गया हो। सुनने में थोड़ा अजीब है पर खाने में इसका जवाब नहीं। इसे खाने का कोई विशेष मौसम नहीं होता पर हमारे यहाँ अक्सर इसे जाड़ों में बनाया जाता है। वैसे तो इसे चावल के साथ खाया जाता है पर मुझे यह रोटी के साथ जादा पसंद है।

सामग्री:
1 cup Gahat
½ cup Kala chana
½ cup Bhatt
½ cup Rajma
½ cup kabuli chana
1 cup Whole urad
½ cup Lobia
½ cup Beans
1 tsp Cumin powder (जीरा)
1 tsp Coriander powder (धनिया)
1 tsp Garam masala
½ tsp Red chilli powder (लालमिर्च)
2 tbsp Ginger and garlic paste (अदरक-लहसुन पेस्ट)
A pinch of hing, turmeric powder (हल्दी)
3 pinches of clove powder (लोंग) and pepper powder (कालीमिर्च)
2-3 tbsp ghee
Salt to taste

बनाने की विधि:
१- साबुद दालों को रात से ही भिगो दें और उन्हें अच्छे से धो लें।  
२- चावल को भी रात से भिगो दें और उसे ग्राइंडर में बहुत महीन पीस लें।
३-  कुकर में दुगने पानी के साथ इन दालों को उबाल लें तथा उबलने पर इन्हें कुकर में ही मसल लें और छलनी की मदद से पानी और दाल के दानों को अलग-अलग कर लें। इस पानी से ही रस बनाया जाता है। 
४- अलग किये गए दाल के दानों में थोड़ा और पानी मिलाएं और उसे भी छान लें। 
५- कड़ाही में घी गरम करें फिर उसमें थोड़ी सी हींग और जीरा डाल कर चलाएं। इसमें अदरक-लहसुन का पेस्ट डालें और हल्का भूरा होने तक चलाएं। अब इसमें हल्दी, धनिया, लालमिर्च, गरम मसाला,लोंग,कालीमिर्च और नमक डाल दें। अब इस मिश्रण में दाल से अलग किया गया पानी को मिलाएं और उसमें उबाल आने दें। 
६- उबलने पर भी अगर वह गाड़ा न हो पाए तो उसमे चावल का आटा या चावल को पीस कर जो पेस्ट तैयार किया था वह डाल लेना चाहिए। इससे रस गाड़ा हो जाता है।
७- अलग किये हुए दानों में मेरी माँ बारीक कटा हुआ प्याज, नमक, मिर्च व थोड़ा सा आचार का तेल मिला कर उसके लडडू बनाती और उसे नीबू और चाट मसाले के साथ परोसती है। आप बिना लडडू  बनाये भी इसे खा सकते हैं।

गुरुवार, 12 मई 2016

काले कौआ काले घुघुित माला खाले, ले कौआ बड़, मकें दिजा सुनक घड़।

हमारे पहाड़ में घुघुतिया का त्यौहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। १४ जनवरी को जब सारा देश पतंग उड़ा कर संक्रान्ति मनाता है तब कुमाऊँ में घुघुते बना कर कौवों को बुलाया जाता है। सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा है पर यही सत्य है। कुछ लोग बताते हैं कि पुराने समय में एक राजा हुआ करता था जिसके मंत्री का नाम घुघुतिया था। वह राजा का बहुत करीबी व प्रिय था। राजा बिना उसकी सहमति के कोई भी कार्य करना पसंद नहीं करता  था। पर उनको यह पता नहीं था कि घुघुतिया उनका दोस्त नहीं दुश्मन था। वह राजा को मार कर उनका साम्राज्य हड़पना चाहता था। परन्तु राजा के कौवे ने ऐसे होने न दिया और राजा को विस्तार पूर्वक सारी बातें बता दी। पहले तो राजा को विश्वास नहीं हुआ पर सत्य का पता चलते ही उन्होंने उस मंत्री को बंदी बना लिया। और सभी को आज्ञा दी कि कौवे के लिए मिठाइयां बनाई जाएँ तथा उसकी खूब खातिरदारी की जाऐ। बताया जाता है कि उसने राजा की जान बचाई तो राजा ने इनाम के रूप में इस दिन को हर साल एक पर्व के रूप में मनाया।

कुछ लोगो का मानना है कि यह बात उस समय की है जब कुमाऊ में चन्द्र वंश के राजा राज करते थे। राजा कल्याण चंद की कोई संतान नहीं थी। उसका कोई उत्तराधिकारी भी नहीं था। उसका मंत्री सोचता था कि राजा के बाद राज्य मुझे ही मिलेगा। एक बार राजा कल्याण चंद सपत्नी एक मन्दिर में गए और अपनी औलाद के लिए प्रार्थना की। ईश्वर की कृपा से उनका एक बेटा हो गया जिसका नाम निर्भय चंद पड़ा। निर्भय को उसकी माँ प्यार से घुघुति के नाम से बुलाया करती थी। घुघुति के गले में एक मोती की माला थी जिस में घुगरु लगे हुए थे। इस माला को पहन कर घुघुति बहुत खुश रहता था। जब वह किसी बात पर जिद्द करता तो उसकी माँ उस से कहती कि जिद्द ना कर नहीं तो में माला कौवे को दे दूंगी। उसको डराने के लिए कहती कि "काले कौवा काले घुघुति माला खाले" यह सुन कर कई बार कौवा आ जाता जिसको देखकर घुघुति जिद्द छोड़ देता। जब माँ के बुलाने पर कौवे आजाते तो वह उनको कोई चीज खाने को दे देती| धीरे धीरे घुघुति की कौवों के साथ दोस्ती हो गई। उधर मंत्री जो राज पाट की उमीद लगाए बैठा था घुघुति को मारने की सोचने लगा ताकि उसी को राजगद्दी मिले। मंत्री ने अपने कुछ साथियों के साथ मिल कर षड्यंत्र रचा। एक दिन जब घुघुति खेल रहा था वह उसे चुप-चाप उठा कर ले गया। जब वह घुघुति को जंगल की ओर ले के जा रहा था तो एक कौवे ने उसे देख लिया और जोर जोर से काँव काँव करने लगा। उस की आवाज सुनकर घुघुति जोर जोर से रोने लगा और अपनी माला को उतार कर दिखाने लगा। इतने में सभी कौवे इकठे हो गए और मंत्री और उसके साथियों पर मडराने लगे। एक कौवा घुघुति के हाथ से माला झपट कर ले गया। सभी कौवों ने एक साथ मंत्री और उसके साथियों पर अपने चौंच और पंजों से हमला बोल दिया। मंत्री और उसके साथी घबरा कर वहां से भाग खड़े हुए। घुघुति जंगल में अकेला रह गया और एक पेड़ के नीचे बैठ गया सभी कौवे भी उसी पेड़ में बैठ गए जो कौवा हार लेकर गया था वह सीधे महल में जाकर एक पेड़ पर माला टांग कर जोर जोर से बोलने लगा। जब लोगों की नज़रे उस पर पड़ी तो उसने घुघुति की माला घुघुति की माँ के सामने डाल दी। माला सभी ने पहचान ली और इसके बाद कौवा एक डाल से दूसरे डाल में उड़ने लगा। सब ने अनुमान लगाया कि कौवा घुघुति के बारे में कुछ जानता है। राजा और उसके घुडसवार कौवे के पीछे लग गए। कौवा आगे आगे घुड़सवार पीछे पीछे कुछ दूर जाकर कौवा एक पेड़ पर बैठ गया। राजा ने देखा कि पेड़ के नीचे उसका बेटा सोया हुआ है। उसने बेटे को उठाया, गले से लगाया और घर को लौट आया। घर लौटने पर जैसे घुघुति की माँ के प्राण लौट आए। माँ ने घुघुति की माला दिखा कर कहा कि आज यह माला नहीं होती तो घुघुति जिन्दा नहीं रहता। राजाने मंत्री और उसके साथियों को मृत्यु दंड दे दिया। घुघुति के मिल जाने पर माँ ने बहुत सारे पकवान बनाए और घुघुति से कहा कि ये पकवान अपने दोस्त कौवों को बुलाकर खिला दे। घुघुति ने कौवों को बुलाकर खाना खिलाया। यह बात धीरे धीरे सारे कुमाऊ में फैल गई और इसने बच्चों के त्यौहार का रूप ले लिया। तब से हर साल इस दिन धूम धाम से इस त्यौहार को मनाते हैं।

कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस दिन कौवों के रूप में हमारे पूर्वज आते हैं पर कुछ लोग कहते हैं कि घुघुतिया नाम की एक चिड़िया थी। जितने मुँह उतनी बातें। अब कहानी जो कुछ भी रही हो इसके पीछे पर सच कहूँ तो यह त्यौहार हमारे पहाड़ की शान है। इस दिन शाम को घुगुते बनाये जाते हैं। मीठे आटे से बने इन घुघुतों को कई आकार दिए जाते हैं जैसे ढाल, तलवार, दाड़िम का फूल, डमरू, खजूर इत्यादि।



फिर इनको एक धागे में पिरो कर इनकी माला बनाई जाती है जिसे दूसरे दिन बच्चे अपने गले में पहन कर ज़ोर-ज़ोर से कौओं को बुलाते हैं और कहते हैं ---------
                                                 काले कौआ काले घुघुित माला खाले
                                                  ले कौआ बड़, मकें दिजा सुनक घड़।
                                                  काले कौआ काले घुघुित माला खाले॥
                                                  ले कौआ पूरी, मकें दिजा सुन छुरी।
                                                  काले कौआ काले घुघुित माला खाले॥
                                                  ले कौआ डमरू मकें दिजा सुनक घुॅघरू।
                                                  काले कौआ काले घुघुित माला खाले॥
                                                  ले कौआ पुआ मकें दिजा भल-भल धुला।
                                                  काले कौआ काले घुघुित माला खाले॥
                                                  ले कौआ ढाल मकें दिजा सुनक थाल।
                                                  काले कौआ काले घुघुित माला खाले॥

अर्थात इसमें कौवों को बुलाकर उनसे प्राथना की जाती है कि हमने जो कुछ भी उनके लिए बनाया है उसे वह स्वीकार करें। यदि उसदिन कौआ बाहर रखे गए पत्तल से कुछ खा लेता है तो उसे बहुत ही शुभ माना जाता है।वह अलग बात है कि साल का यह एक अकेला ऐसा दिन होता है जिसमेँ कौओं का इतना आदर सत्कार किया जाता है। उसदिन उसकी आवाज़ कोयल से भी मीठी लगती है। :)  इस दिन के लिए भी एक कहावत है- "काले कौआ काले घुघुित माला खाले॥ ले कौआ मिचुलो भोल बटी आले तेर गल थेचुलो " अर्थात कल से अगर तू आया तो तेरी ख़ैर नही।


उत्तराखंड में कुछ परिवार ऐसे भी हैं जो इस पर्व को मनाते तो हैं पर घुघुते नहीं बनाते। सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा है पर उनका मानना है कि उत्तराखंड में घुघुती नाम की चिड़िया पाई जाती है और वह लोग मांस नहीं खाते क्योंकि ब्राह्मण हैं, तो माला में सजे उस चिड़िया के आकर के बने घुघुते कैसे खा सकते हैं। मैं तो यह सोच रही हूँ कि यहाँ बच्चे गले में "बिना" घुघुति कि माला पहन कर क्या बोलते होंगे?? शायद यह कि काले कौआ काले "बिना" घुघुति की माला खाले। 

कुमाँऊनी में माताजी और पिताजी की मज़ेदार वार्तालाब Emojies के साथ।

पिताजी का मैसेज आया फोटो के साँथ, ज़ुकाम में घाम तपती माँ-


माँ को जोरों की सर्दी हुई थी पूछने पर पता चला इसका कारण भाई था। पर भाई कैसे हो सकता था वह तो गोवा में छुट्टियाँ बिता रहा था। फिर मुझे पता चला इसका कारण भाई की यह फोटो थी जो इनके कहीं से हाथ लग गयी थी।

मैं - माँ तेरी तबियत कैसी है अब ? तुझे जुकाम कैसे हुआ ? (मेरे पूछने पर माँ ने बताया-----)

माँ - बेटू गोवा में समुद्र में अठखेलिया खेल रहा है और ठन्ड लगने से जुकाम मुझे हो गया है । जैसे ही वह समुद्र से बाहर आ जायेगा मेरा जुकाम भी ठीक हो जायेगा। (इस पर पिताजी का जवाब था--------)
पा - ज्यादा झन नै समुन्दर मैं लूणि है जालै। ध्यान धरियै, भौत समुन्दर-समुन्दर करलै तो याँ हमर घराक सामुणि बै नदी लै छू।
माँ - समुद्र और नदी में हाथी और चींटीक बराबर अन्तर भै पतिदेवज्यू।
पा - पर म्यर बात म्यर बच्च समझणी तुमार समझ में नि आल शैपौ।
माँ - बच्च तुमल डरपोक बणा राखी में भयी निडर।
पा - तुम आपूणि नि कौ। तुमार सामुणि तो मैंलै भीजि बिरालु भयूँ।
हाहाहा......कभी-कभी कुछ ऐसे कंवर्सेशन्स होते हैं जिन्हें पढ़कर मन खुश हो जाता है।उनमें से यह एक था।

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सोमवार, 25 अप्रैल 2016

Coconut chutney

Ingredients
For the coconut chutney and tempering:
  • 2 cup grated coconut
  • 1/2 cup cashew nuts (It gives nice sweet taste to coconut.)
  • 2 tbsp roasted chana dal
  • 1 tsp cumin seeds
  • 2 tsp chopped ginger
  • Chopped Coriander
  • 4 to 6 pcs curry leaves
  • 1 tsp mustard seeds (for Tempering)
  • 2 pcs red chilli whole (for Tempering)
  • 4 Chopped Green Chilli
  • Salt to taste
  • Hing
  • 1/2 tbsp Lemon juice
  • 1 tbsp oil
Preparation
Coconut chutney:
  1. In a blender, blend cashew nuts, roasted chana dal, green chillies, coriander, lemon juice, cumin seeds, ginger and coconut into a fine paste with the help of some water then add required amount of salt and mix well.
  2.  Transfer this mixture in to a bowl and keep aside.
  3. For tempering, heat the oil in a small pan and add mustard seeds, whole red chilli, hing powder, curry leaves and saute for a few seconds.
  4. Remove the pan from the heat and pour the tempering over the coconut chutney and mix well.
  5. Now your yummy coconut chutney is ready.
बहुत दिनों से इस ब्लॉग का वेब एड्रेस बदलने का सोच रही थी। पहले मेरे इस ब्लॉग का एड्रेस रोमनागरी था। जब आप मेरा पहला ब्लॉग पढ़ेंगे तो आपको पता चल जायेगा कि यह नाम मैंने क्यों चुना। पर अब मेरे पोस्ट या तो हिन्दी में होते हैं या फिर इंग्लिश में। अब रोमनागरी वाली तो कोई बात ही नहीं रही। अब मैं इसका नाम बदल कर साथीफॉरएवर रख रही हूँ  जोकि ठीक भी है। साथीफॉरएवर यानि हमेशा साथ रहने वाला। :)