गुरुवार, 12 मई 2016

कुमाँऊनी में माताजी और पिताजी की मज़ेदार वार्तालाब Emojies के साथ।

पिताजी का मैसेज आया फोटो के साँथ, ज़ुकाम में घाम तपती माँ-


माँ को जोरों की सर्दी हुई थी पूछने पर पता चला इसका कारण भाई था। पर भाई कैसे हो सकता था वह तो गोवा में छुट्टियाँ बिता रहा था। फिर मुझे पता चला इसका कारण भाई की यह फोटो थी जो इनके कहीं से हाथ लग गयी थी।

मैं - माँ तेरी तबियत कैसी है अब ? तुझे जुकाम कैसे हुआ ? (मेरे पूछने पर माँ ने बताया-----)

माँ - बेटू गोवा में समुद्र में अठखेलिया खेल रहा है और ठन्ड लगने से जुकाम मुझे हो गया है । जैसे ही वह समुद्र से बाहर आ जायेगा मेरा जुकाम भी ठीक हो जायेगा। (इस पर पिताजी का जवाब था--------)
पा - ज्यादा झन नै समुन्दर मैं लूणि है जालै। ध्यान धरियै, भौत समुन्दर-समुन्दर करलै तो याँ हमर घराक सामुणि बै नदी लै छू।
माँ - समुद्र और नदी में हाथी और चींटीक बराबर अन्तर भै पतिदेवज्यू।
पा - पर म्यर बात म्यर बच्च समझणी तुमार समझ में नि आल शैपौ।
माँ - बच्च तुमल डरपोक बणा राखी में भयी निडर।
पा - तुम आपूणि नि कौ। तुमार सामुणि तो मैंलै भीजि बिरालु भयूँ।
हाहाहा......कभी-कभी कुछ ऐसे कंवर्सेशन्स होते हैं जिन्हें पढ़कर मन खुश हो जाता है।उनमें से यह एक था।

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