गुरुवार, 18 जून 2020

*अवसाद* (Depression)

इतनी खुदगर्ज़ी है क्योंऐसी भी क्या बात है,
किशोरों और युवाओं से बुजुर्गों तक में क्यों अवसाद है।
हर कोई मशगूल दिखताअपने-अपने में यहाँ,
जाने क्यों हासिल वो करना चाहतासारा जहाँ।
उसको जीने का सलीका भी तो  पाया नहीं
ख़ुद से भी ख़ुद का वो रिश्ताजोड़ तक पाया नहीं।
अब पड़ा कोने में गुमसुमकिसको करता याद है,
तेरी इस हालत काजिम्मेदार ये अवसाद है।
तन की मजबूती को मजबूती समझने का ये भ्रम,
टूट जाता है ज़रा मेंमन अगर बलहीन हो।
मन की मजबूती ज़रूरीइस जहाँ में दोस्तो,
कुछ भी ना हासिल यहाँमन जो शक्तिहीन हो।
तन के टीके सब लगातेतन की रक्षा के लिए,
मन के टीके भी जरूरीमन की दृढ़ता के लिए।
उसने जीवन जी लियाजिसका दिल फौलाद है,
वरना जीवन में तो फिरअवसाद ही अवसाद है।
                     
दीपक जोशी
18/06/2020

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें