रविवार, 30 अगस्त 2015

बचपन की यादें, भाई और मैं - 2

उबले अंडे का एक किस्सा और याद आ गया। बचपन से ही हमें सवेरे उठते ही २ उबले हुए अंडे खाने और १ गिलास दूध पीने की आदत थी। माँ के पास छोटी सी अंडे उबालने की बाल्टी हुआ करती थी जिसमे अक्सर अंडे आपस में टकरा कर टूट जाया करते थे। अब प्रश्न यह उठता था के वह टूटा अंडा खाएगा कौन? तो माँ हमें समझती थी कि कोई भी खालो अंडा तो टूट कर ही पेट में जायेगा। पर हम तो बच्चे थे हमारे समझ में कहाँ कुछ आना था। अकसर जब स्कूल की छुट्टी होती थी तब मैं और भाई आराम से उठते थे। ब्रश करके जब हमें माँ अंडे देती थी तो मेरी पूरी नज़र उसके अंडे पर रहती थी। वह अपना एक अंडा भी खा नहीं पाता था और मेरे दोनों अंडे पेट में होते थे। इतना सीधा तो वह भी नहीं था कि मैं उसका हिस्सा मांगू और वह बिना कुछ कहे ख़ुशी-ख़ुशी मुझे देदे। फिर मैंने एक खेल का अविष्कार किया जिसका नाम था टैन्ट-टैन्ट। इसमें हम एक कम्बल में टॉर्च लेकर बैठते थे। ऐसा लगता था जैसे हम टैन्ट में बैठे हों। फिर हम उसी में अपने उबले अंडे खाते थे। मेरा अंडा खत्म होने पर मैं चिड़िया बन जाती थी और उसको बोलती थी कि चिड़िया को भूख लगी है, कुछ खाने को मिलेगा? तभी वह अपने अंडे से थोड़ा सा हिस्सा मेरी चोंच में डाल देता था। वह मुझे अंडे का सफ़ेद भाग देता था जो मुझे आज भी अच्छा नहीं लगता। मैं उसे बोलती थी कि चिड़िया का पेट पीले वाले से ही भरता है तो वह मुझे चिड़िया का बच्चा समझ अपना पूरा अंडा खिला देता था। कुछ सालों बाद वह बड़ा होने लगा। अब उसे पता था के कोई चिड़िया-विडिया नहीं होती। अब उसे आसानी से उल्लू बनाना थोड़ा मुश्किल था। पर थी तो मैं भी उसकी दीदी ही। अब मेरे पास दूसरी योजना थी। मुझे पता था कि जो भी चीज़ मुझे अच्छी लगती है वह उसे भी पसंद होती है। जैसे अगर मैं  कहूँ मुझे चाय बहुत पसंद है तो उसे भी चाय पसंद हो जाएगी। जो कुछ भी मुझे पसंद और चाहिए होता था उसे भी वही चाहिए होता था। इसी बात का फायदा उठाते हुए मैंने उसे बोला के मुझे तो अंडे का सफ़ेद हिस्सा बहुत अच्छा लगता है। तभी वह बोला मुझे भी। मैं भी उसका यही जवाब एक्सपेक्ट कर रही थी। बस फिर क्या था भाई के लिए मैंने त्याग किया और अपना सफ़ेद वाला भाग उसके पीले भाग से बदल लिया। कुछ साल यह भी चला पर फिर वह सच में बड़ा हो गया था। अब मेरा अंडा ख़तम होने पर वह मुझे चिढ़ा-चिढ़ा के खाता था। बोलता था "चिड़िया को अंडा चाहिए ये ले" और अपने मुँह में डाल लेता था। :(

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