सर्दियों के दिन थे। दिसम्बर का महीना चल रहा था। स्कूलों में छुट्टियाँ हो गई थी। यह महीना मुझे बहुत पसंद था क्योँकि हर बार की तरह इस बार भी हमलोग छुट्टियों में अपने पिताजी के पास जाने वाले थे पर माँ की एक शर्त थी कि वह हमें लेकर तभी जाऐगी जब हम सारा सर्दियों का होमवर्क आने वाले १० दिनों में पूरा करें। ऐसा सुनते ही मैंने तो काम करना शुरू किया लेकिन मेरा भाई आलसी राम था। उसका सारा होमवर्क मुझे ही करना पड़ता था। पहले अपना काम करो फिर उसका। उसके छोटी क्लास में होने के कारण उसे जोड़-घटाना और निबंध लिखने को ही दिया जाता था पर यह काम भी वह आलसी नहीं करता। उसके चित्रों से लेकर सारे प्रोजेक्ट्स मैं ही बनाती थी। समस्या तो यह थी कि जब उसका स्कूल खुलने वाला होता था बस तभी उसे होश आता था। फिर उसका रोना चालू और माँ मुझे उसकी मदद करने को बोलती थी। उसकी कामचोरी का एक किस्सा बताती हूँ-
वह कक्षा ६ में था। स्कूल खुलने मैं दो दिन बाकी थे। वह रोते-रोते मेरे पास आया और बोला "दीदी, (यह शब्द तभ बोला जाता था जब कोई काम हो ) मेरा काम करदे नहीं तो मिस बहुत मारेगी"। इतनी सीधी तो मैं भी नहीं थी जो बिना कुछ लिए ही उसका काम कर दूँ। मैंने बोला मैं एक ही शर्त में तेरा काम करुँगी जब तू मुझे रोज एक हफ्ते तक अपने बॉयल्ड एग का पीला वाला भाग देगा। है तो छोटा भाई ही। बुरा तो लग ही जाता है। वैसे भी फ्री में कोई काम नहीं होता। पूछने पर पता चला उसे इंग्लिश विषय मैं ३०० पन्नों की एक कॉपी भरनी थी। दो दिन बैठ कर मैंने जैसे-तैसे २५० पन्ने लिखे। बाकि बचे पन्नों को भरने का समय नहीं था। उसने ५० बचे पन्ने फाड़ दिए। बोलने लगा कौनसा मिस पन्ने गिनेगी। थैंक्स कह कर चल दिया। अब तो वह बहुत बड़ा हो गया है। कितना भी बड़ा हो जाऐ रहेगा तो हमेशा मुझसे छोटा ही। कुछ दिन पहले उसका फ़ोन आया था। बहुत खुश था। उसे उसकी कंपनी में अच्छा काम करने के लिए २ अवार्ड्स मिले हैं। भगवान करे ऐसे ही तरक्की करता रहे। स्वस्थ रहे, सुखी रहे और क्या चाहिऐ।

वह कक्षा ६ में था। स्कूल खुलने मैं दो दिन बाकी थे। वह रोते-रोते मेरे पास आया और बोला "दीदी, (यह शब्द तभ बोला जाता था जब कोई काम हो ) मेरा काम करदे नहीं तो मिस बहुत मारेगी"। इतनी सीधी तो मैं भी नहीं थी जो बिना कुछ लिए ही उसका काम कर दूँ। मैंने बोला मैं एक ही शर्त में तेरा काम करुँगी जब तू मुझे रोज एक हफ्ते तक अपने बॉयल्ड एग का पीला वाला भाग देगा। है तो छोटा भाई ही। बुरा तो लग ही जाता है। वैसे भी फ्री में कोई काम नहीं होता। पूछने पर पता चला उसे इंग्लिश विषय मैं ३०० पन्नों की एक कॉपी भरनी थी। दो दिन बैठ कर मैंने जैसे-तैसे २५० पन्ने लिखे। बाकि बचे पन्नों को भरने का समय नहीं था। उसने ५० बचे पन्ने फाड़ दिए। बोलने लगा कौनसा मिस पन्ने गिनेगी। थैंक्स कह कर चल दिया। अब तो वह बहुत बड़ा हो गया है। कितना भी बड़ा हो जाऐ रहेगा तो हमेशा मुझसे छोटा ही। कुछ दिन पहले उसका फ़ोन आया था। बहुत खुश था। उसे उसकी कंपनी में अच्छा काम करने के लिए २ अवार्ड्स मिले हैं। भगवान करे ऐसे ही तरक्की करता रहे। स्वस्थ रहे, सुखी रहे और क्या चाहिऐ।

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