शनिवार, 29 अगस्त 2020

*विश्वास*

हर नई सुबह इकइंतज़ार रहता है,

दिल की इस सोच काखुद से करार रहता है,

कि ये ज़िन्दगी कभी तो फिरढर्रे पै  ही जायेगी,

बेख़ौफ़ जीने की ललकज़र्रे पै  ही जायेगी।

खिल उठेंगे फूलखुशियों से भरे जीवन में फिर,

स्वच्छन्द विचरण कर सकेंगे लोगइस उपवन में फिर,

रे मन ज़रा धीरज तो धरइस मुफलिसी के दौर में,

अच्छा समय भी आयेगामुश्किल भरी इस ठौर में।

बुरे भी और भले भी हैं समयये वक्त की दहलीज़ है,

एक आना एक जानाही नियति की रीति है,

बस धैर्य ही एकमात्रइसका कर सका है सामना,

जिसने इसे धारण कियाउसकी सफल सब कामना।

धैर्य देता है मनोबलधैर्य से हिम्मत यहाँ

धैर्य जिसने खो दियाउसको सफलता फिर कहाँ,

समय विपरीत हैउससे वफ़ा मुश्किल बढ़ाएगी,

बस इक सावधानीज़िन्दगी पटरी में लाएगी।

              

दीपक जोशी

29/08/2020


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