हर नई सुबह इक, इंतज़ार रहता है,
दिल की इस सोच का, खुद से करार रहता है,
कि ये ज़िन्दगी कभी तो फिर, ढर्रे पै आ ही जायेगी,
बेख़ौफ़ जीने की ललक, ज़र्रे पै आ ही जायेगी।
खिल उठेंगे फूल, खुशियों से भरे जीवन में फिर,
स्वच्छन्द विचरण कर सकेंगे लोग, इस उपवन में फिर,
रे मन ज़रा धीरज तो धर, इस मुफलिसी के दौर में,
अच्छा समय भी आयेगा, मुश्किल भरी इस ठौर में।
बुरे भी और भले भी हैं समय, ये वक्त की दहलीज़ है,
एक आना एक जाना, ही नियति की रीति है,
बस धैर्य ही एकमात्र, इसका कर सका है सामना,
जिसने इसे धारण किया, उसकी सफल सब कामना।
धैर्य देता है मनोबल, धैर्य से हिम्मत यहाँ,
धैर्य जिसने खो दिया, उसको सफलता फिर कहाँ,
समय विपरीत है, उससे वफ़ा मुश्किल बढ़ाएगी,
बस इक सावधानी, ज़िन्दगी पटरी में लाएगी।
दीपक जोशी
29/08/2020