शनिवार, 29 अगस्त 2020

*विश्वास*

हर नई सुबह इकइंतज़ार रहता है,

दिल की इस सोच काखुद से करार रहता है,

कि ये ज़िन्दगी कभी तो फिरढर्रे पै  ही जायेगी,

बेख़ौफ़ जीने की ललकज़र्रे पै  ही जायेगी।

खिल उठेंगे फूलखुशियों से भरे जीवन में फिर,

स्वच्छन्द विचरण कर सकेंगे लोगइस उपवन में फिर,

रे मन ज़रा धीरज तो धरइस मुफलिसी के दौर में,

अच्छा समय भी आयेगामुश्किल भरी इस ठौर में।

बुरे भी और भले भी हैं समयये वक्त की दहलीज़ है,

एक आना एक जानाही नियति की रीति है,

बस धैर्य ही एकमात्रइसका कर सका है सामना,

जिसने इसे धारण कियाउसकी सफल सब कामना।

धैर्य देता है मनोबलधैर्य से हिम्मत यहाँ

धैर्य जिसने खो दियाउसको सफलता फिर कहाँ,

समय विपरीत हैउससे वफ़ा मुश्किल बढ़ाएगी,

बस इक सावधानीज़िन्दगी पटरी में लाएगी।

              

दीपक जोशी

29/08/2020


शनिवार, 8 अगस्त 2020

*जीवन की सच्चाई*

हो चाहे शानो-शौकतया हो मुफलिसी ही,  

पर्याप्त से अधिकताहर चीज़ की ज़हर है।

दम्भी हो या सरल होसफल हो या विफल हो,

क्रोध - नम्रता होअमृत हो या गरल हो।

प्रेम या घृणा होआसक्ति या अरुचि हो,

पर्याप्त से अधिकताहर चीज़ की ज़हर है।

ज़रूरत की हर वज़ह को पैदा किया ख़ुदा ने,

है सृष्टि को बनायाइस सोच में अमल कर।

के इन्सान जो भी चाहेवो ले सके यहीं से,

पर दी उसे हिदायतकि ले उसे सम्भल कर।

लालच में आके उसनेतोड़े नियम-धरम जो,

तब ख़ुद  ख़ुद वो जानाकि सृष्टि ही कहर है। 

पर्याप्त से अधिकताहर चीज़ की ज़हर है।

इंसाँ को क्या ज़रूरीये तय किया ख़ुदा ने,

होते ही उसके पैदाज़िन्दगी बसर को।

क्या ठीक और ग़लत क्याइस सबकी दी समझ तो,

सद्भावना दी उसकोऔरों की क़दर को।

जिसने इसे भुलायाउसकी कठिन डगर है,

पर्याप्त से अधिकताहर चीज़ की ज़हर है।

               

दीपक जोशी

08/08/2020