गुरुवार, 28 मई 2020

*क़ुदरत का विधान*

बहुत दोहन किया थाइस धरा कामूढ़ मानव ने,
कुपित होकर विधाता नेबटन "रीसैटदबा डाला।
ग़लत फहमी थी जो मैं चाहता हूँलेके रहता हूँ,
उसी अभिमान कोहल्के से झटके में मिटा डाला।
अब ये हाल हैकि जान के भी पड़ गये लाले,
महामानव जो समझा थाउसीने भ्रम हटा डाला।
बेख़ौफ़ होकेघूमता - फिरता था दुनियाँ में,
उसी मानव को घर की क़ैद मेंअसहाय कर डाला।
कि तोड़े थे उसीने ज़िन्दगी केहर नियम संयम,
उन्हैं ही फिर से अपनाने कोउसको बाध्य कर डाला।
अब आगे ज़िन्दगी मेंऔर भी संयम जरूरी है,
कि क़ुदरत ने विधानों कोपुनः अनिवार्य कर डाला।
                      
दीपक जोशी                
28/05/2020

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मंगलवार, 26 मई 2020

*कोरोना का ज्ञान* 😷

'कोरोनाने दे दिया सबसे मुश्किल टास्क,
ज़िन्दा रहना है अगरमुख में बाँधो 'मास्क'
मुख में बाँधो 'मास्क', यही कल्याण करेगा
नवयुग के मानव का ये निर्माण करेगा।
मानव-मानव में फिर कोई भेद  होगा,
रूप-रंग से किसी को कोई खेद  होगा।
घर में कोई कैसा होपर बाहर सभी समान,
दुनिया में सब एक हैंयही 'कोरोनाज्ञान।
मुख ही सबसे ज्यादा खर्चे करवाता है,
सुन्दरता के बाहर चर्चे करवाता है।
भाव-भंगिमा मुख पर ही दर्शित होते हैं,
मुख की उपमा सुन सभी हर्षित होते हैं।
मुख गर ढका रहेगा तो खर्चे कम होंगे,
अन्दर-बाहर मेकअप के चर्चे कम होंगे।
घर की अर्थ व्यवस्था को आधार मिलेगा,
आपस के सम्बन्धों को सुधार मिलेगा। 
मितव्ययता से जमा राशि को वृद्धि मिलेगी,
जीवन में स्वावलम्बन और समृद्धि मिलेगी।
मजबूरी है 'मास्कतो अब लगाना होगा,
जीवन का आवश्यक अंग बनाना होगा।
नहीं लगाओगे तो फिर खुद  पछताओगे,
'कोरोनाको अपने संग-संग घर लाओगे।

दीपक जोशी,                                    
26/05/2020
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