बैंगलोर से सैन फ्रांसिस्को के लिए हमारी कनेक्टिंग फ्लाइट थी - बैंगलोर से हॉंगकॉंग, हॉंगकॉंग से सैन फ्रांसिस्को। लग रहा था लाइफ मैं बहुत कुछ बदल रहा है। मैं बहुत खुश थी मुझे विदेश घूमने का अवसर मिल रहा था पर साथ ही थोड़ा सा डर भी था..... वैसे तो वीज़ा के लिए इंटरव्यू क्लियर हो ही गया था पर मेरे पति ने बताया कि सैन फ्रांसिस्को में भी एक छोटा सा इंटरव्यू होता है और डाक्यूमेंट्स पूरे न होने पर वहाँ से भी लोगों को वापस भेज दिया जाता है। शायद वो मुझे डरा रहे थे। पर अब मैं किसी से डरने वाली नहीं थी क्योँकि मैं अमेरिका में थी। जैसे ही सैन फ्रांसिस्को एयरपोर्ट से बाहर निकले एक अफ्रीकन अमेरिकन अपनी काली रंग की लम्बी सी गाड़ी का दरवाजा खोले हमारे स्वागत में खड़ा था। वह काले रंग की लम्बी सी गाड़ी और कोई नहीं लिमोजीन थी। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था मैं इसमें बैठने वाली हूँ। मैंने टीवी में अमेरिका के प्रेसिडेंट बराक ओबामा को इसमें बैठे, हाथ हिलाते हुए देखा था। मैंने अपने पति की ओर देखते हुए कहा शायद ये कुछ गलत समझ रहा है। पतिदेव मुस्कुराए और बोले "बैठो, तुम्हारे लिए ही दरवाज़ा खोला है।" उस वक्त मैं बहुत भावुक को गई थी कैसे ही मैंने अपने आँसू रोके और बैठ गई। आह! क्या शानदार गाड़ी थी। वैसे कहा जाए तो गाड़ी नहीं चलता फिरता बार था वो। ऐसी गाड़ी पर मैं पहले कभी नहीं बैठी थी। गाड़ी तो बहुत बड़ी थी पर उसमें बैठने वाले हम दो ही थे। ऐसे मौकों में अपनों की बहुत याद आती है। हम दोनों के परिवार इसमें एक साथ आ सकते थे।
मैं लिमोजीन में बैठ कर गाड़ी का आनन्द ले ही रही थी कि अचानक मैंने अपने पति के चेहरे पर घबराहट सी देखी। वो अपने लैपटॉप बैग में कुछ ढूंढ रहे थे। मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि उनका बटुआ नहीं मिल रहा है। उनके कहने की देरी थी और मुझे वह फिल्मी दृश्य याद आने लगा जिसमे हीरो अपनी गर्लफ्रेंड को पहली बार डेट में लेकर जाता है और बिल देते वक़्त उसे पता चलता है की वह अपना बटुआ कहीं भूल आया है। या जब आप खाने के लिए किसी भोजनालय पर जाए और पैसे देते वक़्त आपको पता चले कि आपका बटुआ चोरी हो गया है .……तो क्या होगा?
वो आपको बर्तन धोने के लिए बोलेंगे या कुछ और? पर यहाँ का तो दृश्य ही कुछ अलग था। हम अमेरिका में एक शानदार सी गाड़ी लेमो में बैठे थे और पास में बटुआ नहीं। मेरे पास कुछ इंडियन करेंसी थी जो यहाँ पर किसी काम की नहीं थी। सारे पैसे, कार्ड्स सब उसी बटुए में थे। मुझे तो अपने आगे जेल की सलाखें दिखाई दे रही थी। कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या होगा। सैन फ्रांसिस्को के हवाई अड्डे में तो मैंने इनके पास वो बटुआ देखा था। ड्राइवर साहब भी हवा की तेजी से गाड़ी को भगा रहे थे। उनसे कहने में डर तो लग रहा था पर अब और कोई चारा भी नहीं था।
बचपन में मैंने सुना था कि अगर आपकी कोई चीज़ खो जाए तो अपने दुपट्टे पर एक गाँठ बांध लेनी चाहिए, गाँठ बाँधने से वह चीज़ मिल जाती है। मैंने कभी ऐसी बातों पर विश्वास नहीं किया पर पता नहीं क्योँ उस समय लगा एक बार इसे आज़माने में हर्ज़ ही क्या है। पर क्योँकि में अमेरिका में थी तो दुपट्टा कहाँ से लाती? मैंने जीन्स पहनी थी। फिर मैंने एक नज़र अपने पर्स में डाली और देखा कि उसमें एक रुमाल पड़ा था। सोचा यह भी तो कपड़ा ही है शायद काम कर जाए.……
एक बात तो माननी पड़ेगी यहाँ के लोग बहुत ईमानदार होते हैं। अगर यह हादसा भारत में किसी हवाई अड्डे पर हुआ होता तो बटुआ मिलने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। वहाँ खोने पर आदमी नहीं मिलते बटुआ न मिलना तो छोटी सी बात है। क्योंकि हम अमेरिका में थे तो हमें हमारा बटुआ जैसा था वैसा ही मिल गया। हमारे वापस हवाई अड्डे जाते ही मेरे पति का नाम एनाउंस हो रहा था। इनका नाम सुनते ही मुझे लगा अब "बर्तन नहीं धोने पड़ेंगे।" :)
मैं लिमोजीन में बैठ कर गाड़ी का आनन्द ले ही रही थी कि अचानक मैंने अपने पति के चेहरे पर घबराहट सी देखी। वो अपने लैपटॉप बैग में कुछ ढूंढ रहे थे। मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि उनका बटुआ नहीं मिल रहा है। उनके कहने की देरी थी और मुझे वह फिल्मी दृश्य याद आने लगा जिसमे हीरो अपनी गर्लफ्रेंड को पहली बार डेट में लेकर जाता है और बिल देते वक़्त उसे पता चलता है की वह अपना बटुआ कहीं भूल आया है। या जब आप खाने के लिए किसी भोजनालय पर जाए और पैसे देते वक़्त आपको पता चले कि आपका बटुआ चोरी हो गया है .……तो क्या होगा?
वो आपको बर्तन धोने के लिए बोलेंगे या कुछ और? पर यहाँ का तो दृश्य ही कुछ अलग था। हम अमेरिका में एक शानदार सी गाड़ी लेमो में बैठे थे और पास में बटुआ नहीं। मेरे पास कुछ इंडियन करेंसी थी जो यहाँ पर किसी काम की नहीं थी। सारे पैसे, कार्ड्स सब उसी बटुए में थे। मुझे तो अपने आगे जेल की सलाखें दिखाई दे रही थी। कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या होगा। सैन फ्रांसिस्को के हवाई अड्डे में तो मैंने इनके पास वो बटुआ देखा था। ड्राइवर साहब भी हवा की तेजी से गाड़ी को भगा रहे थे। उनसे कहने में डर तो लग रहा था पर अब और कोई चारा भी नहीं था।
बचपन में मैंने सुना था कि अगर आपकी कोई चीज़ खो जाए तो अपने दुपट्टे पर एक गाँठ बांध लेनी चाहिए, गाँठ बाँधने से वह चीज़ मिल जाती है। मैंने कभी ऐसी बातों पर विश्वास नहीं किया पर पता नहीं क्योँ उस समय लगा एक बार इसे आज़माने में हर्ज़ ही क्या है। पर क्योँकि में अमेरिका में थी तो दुपट्टा कहाँ से लाती? मैंने जीन्स पहनी थी। फिर मैंने एक नज़र अपने पर्स में डाली और देखा कि उसमें एक रुमाल पड़ा था। सोचा यह भी तो कपड़ा ही है शायद काम कर जाए.……
एक बात तो माननी पड़ेगी यहाँ के लोग बहुत ईमानदार होते हैं। अगर यह हादसा भारत में किसी हवाई अड्डे पर हुआ होता तो बटुआ मिलने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। वहाँ खोने पर आदमी नहीं मिलते बटुआ न मिलना तो छोटी सी बात है। क्योंकि हम अमेरिका में थे तो हमें हमारा बटुआ जैसा था वैसा ही मिल गया। हमारे वापस हवाई अड्डे जाते ही मेरे पति का नाम एनाउंस हो रहा था। इनका नाम सुनते ही मुझे लगा अब "बर्तन नहीं धोने पड़ेंगे।" :)