मैंने रोडीज़ के किसी एक एपिसोड में इस जगह को देखा था। तब सोचा नहीं था कि कभी मैं भी यहाँ जाऊँगी। प्लान तो हमारा वेगस जाने का बन रहा था पर जैसे ही मुझे पता चला कि डेथ वैली वेगस जाने वाले रस्ते मैं ही पड़ता है तो मैंने वहां जाने की ज़िद पकड़ ली। वैसे मेरे पति बहुत प्यारे हैं। मेरी हर बात मान लेते हैं। बस थोड़ी ज़िद करने की देरी होती है :) ।
बाद में मैंने इंटरनेट में देखा तो पता चला १० जुलाई १९१३ में यहाँ का तापमान 134 डिग्री F माने 56 डिग्री C दर्ज किया गया था जोकि इस दुनिया में अब तक का सबसे ज़्यादा तापमान माना जाता है। जिस दिन हमलोग यहाँ गऐ थे उस दिन भी तापमान कुछ ज़्यादा ही बढ़ा हुआ था। अब आप सोच रहे होंगे आखिर कितना बढ़ सकता है-100,110 या 120? उस दिन का तापमान 127 डिग्री F रिकॉर्ड किया गया था।अच्छा ही हुआ हमलोग जल्दी चले गए वरना मेरा तो पिघलना पक्का था। :) यहाँ पर साल में २ इंच से भी कम वर्षा होती हैऔर यह स्थान समुद्र तल से 282 फ़ीट नीचे है।

जो मुझे वहाँ सबसे ज़्यादा पसंद आया वह था Mesquite Sand Dunes और Zabriskie point.ऐसी बंजर भूमि को देखने के बाद वेगस पहुँच कर ऐसा लग रहा था मानो जैसे हम कलयुग के स्वर्ग में हों। अलग ही दुनिया थी वो भी। वहाँ के किस्से कभी और सुनाऊँगी।
सप्ताह के अंत में हम लोग अक्सर कहीं न कहीं घूमने निकल ही पड़ते थे। इस बार वेगस जाना था तो उत्साह कुछ ज्यादा ही था। मैंने तो रात से ही अपना सारा सामान, जो मुझे लेकर जाना था, एक किनारे में रख लिया था। अभी आप सोच रहे होंगे कि किनारे में क्यों रखा बैग में रखना चाहिए था लेकिन में आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की मेरे पति को सामान खुद से रखने की बीमारी है अगर कभी मैं गलती से सामान रख देती हूँ तो ये दुबारा से उसे निकाल कर खुद से रखने लगते हैं। हमें शुक्रवार की शाम को निकलना था। हम चार लोग थे - मैं ,मेरे पति, इनके दोस्त और उनकी पत्नी। हम चारों ने यह तय किया था कि रात का भोजन करके ही निकलेंगे। १४ घंटे की ड्राइविंग थी। सबसे ज़्यादा खुश में ही थी क्योंकि ये तीनों लोग पहले भी वेगस गए थे। एक मैं ही थी जिसने वेगस नहीं देखा था। रात का सफर कैसे बीता कुछ पता ही नहीं चला। कुछ समय हमारा अन्ताक्षरी खेलने में निकला तो कुछ समय खानेऔर सोने में। मुझे आज भी याद है उन दिनों आशिकी-२ के गाने बहुत चल रहे थे।
मुझे तो अच्छे लगते थे पर इनको कुछ खास पसंद नहीं थे फिर भी कभी मैं लगाती थी तो सुन लेते थे। उस दिन भी गाड़ी में इसी के गाने चल रहे थे। कुछ दिन तो ये सुनते रहे पर जब चौथे दिन हमलोग वापस लौट रहे थे तो ये गाना बहुत देर से बज रहा था "सुन रहा है ना तू ,रो रही हूँ मैं" ये धीरे से बोले रो मत, मर जा। हा हा हा ! यह शब्द कहना पता नहीं ठीक होगा कि नहीं पर ये सच में "झेल" गए थे।
रात भर ड्राइव करते रहे और जब थोड़ा उजाला सा होने लगा तो इस जगह रुक कर हमने ब्रश किया और मुँह धो कर आगे बड़े।
क्या सड़कें हैं यहाँ की पता नहीं ऐसी सड़कें अपने देश मैं कब बनेंगीं।
सवेरे ६ बजे हमलोग डेथ वैली पहुँचे।अच्छा-खासा उजाला हो गया था । बहुत सुन्दर नज़ारा था ऐसा नज़ारा मैंने पहले कभी नहीं देखा था।रेत के टीलों में सूरज की किरणें ऐसे पड़ रही थी मानों हीरे की खदान पृथ्वी कि सतह पर निकल कर आगई हो। टीवी में मैंने जो देखा था उससे तो बहुत अधिक सुन्दर था। जैसे ही हमलोग कैमरा लेकर गाड़ी से बाहर निकले १५ मिनट के लिए भी बाहर रह नहीं पाऐ। बहुत गरम था विश्वास नहीं हो रहा था कि सुबह-सुबह इतना गरम कैसे हो सकता है? शायद इसी लिए इसका नाम डेथ वैली पड़ा।मुझे लगता है कि कोई न कोई तो पक्का भगवान जी को प्यारा हुआ होगा यहाँ। ऐसे ही तो डेथ वैली नहीं बोलेंगे इसे। खैर कारण कुछ भी हो पर यह नार्थ अमरीका का सबसे गरम, सबसे सूखा व सबसे निचला स्थान है।
जैसे-जैसे हम रेत में आगे बड़ते रहे वैसे-वैसे जमीन में खुदे ये पट्टे हमको डराते रहे। मेरी बात में विश्वास नहीं हो रहा है ना तो खुद से देख लीजिये:-

अब हुआ विश्वास? :) हमें समझ आ गया था के ज़्यादा देर यहाँ रुकना ठीक नहीं है। बस फिर क्या था हम थोड़ा घूमें और फिर निकल पड़े वेगास के लिए। कुछ तसवीरें ली थी मैंने वो आपके साथ शेयर करती हूँ।
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