सूतक के बारे में तो मैं बचपन से ही जानती थी पर नातक के बारे में मुझे नहीं पता था। अभी आप लोग सोच रहे होंगे कि मैं किस बारे में बात कर रही हूँ। हिन्दुओं मैं यह मान्यता है कि यदि आपके परिवार में किसी की मृत्यु होती है तो उसे सूतक लगना कहते हैं। यदि कोई बच्चा पैदा होता है तो उसे नातक लगना कहते हैं।
सूतक वह अवधि है जिसमें परिवार का कोई भी सदस्य तथा रक्त-सम्बन्धी कुछ दिनों तक पूजा-पाठ नहीं कर सकता और ना ही उसे किसी मंदिर में जाने की अनुमति होती है। इसके पीछे का तर्क मुझे समझ आता है। इसमें हम मंदिर न जाकर उस सदस्य को खोने का दुःख व्यक्त करते हैं। भगवान से मन ही मन उसकी आत्मा की शांति मांगते हैं। हमारे यहाँ खाने मैं हल्दी डालना शुभ माना जाता है। लेकिन सूतक लगने पर तीन दिन बिना हल्दी का खाना बनाया जाता है।
पर यह तर्क मेरे समझ से बाहर है कि क्यों किसी बच्चे के जन्म को अशुद्ध माना जाता है। यह तो ख़ुशी की बात होनी चाहिए कि आपके परिवार में एक छोटी सी या छोटा सा सदस्य शामिल हुआ है। क्यों यह लोग माँ और बच्चे को नामकरण होने तक सबसे दूर रखते हैं? किसी भी अन्य सदस्य को उन्हें छूने नहीं देते। मानती हूँ हमारे पूर्वज बड़े बुद्धिमान थे। पहले के समय में चिकत्सा सुविधाएं उतनी अच्छी नहीं थी जितनी अभी हैं। हो सकता है उन्हें लगता हो ऐसे माँ और बच्चे को वायुवाहित बिमारियों एवं संक्रमण से बचाया जा सकता है। पता नहीं कुछ भी हो सकता है।
यह सब मैं इसलिए लिख रही हूँ क्योंकि मेरी पांच ही नवरात्री हुई थी कि मेरे पापा के चचेरे भाई के वहां बच्चा हो गया और हमें नातक लग गया :( । मुझे समझ नहीं आया कि बच्चा होने की ख़ुशी मनाऊँ या नवरात्री न पूरी कर पाने का गम।
सूतक वह अवधि है जिसमें परिवार का कोई भी सदस्य तथा रक्त-सम्बन्धी कुछ दिनों तक पूजा-पाठ नहीं कर सकता और ना ही उसे किसी मंदिर में जाने की अनुमति होती है। इसके पीछे का तर्क मुझे समझ आता है। इसमें हम मंदिर न जाकर उस सदस्य को खोने का दुःख व्यक्त करते हैं। भगवान से मन ही मन उसकी आत्मा की शांति मांगते हैं। हमारे यहाँ खाने मैं हल्दी डालना शुभ माना जाता है। लेकिन सूतक लगने पर तीन दिन बिना हल्दी का खाना बनाया जाता है।
पर यह तर्क मेरे समझ से बाहर है कि क्यों किसी बच्चे के जन्म को अशुद्ध माना जाता है। यह तो ख़ुशी की बात होनी चाहिए कि आपके परिवार में एक छोटी सी या छोटा सा सदस्य शामिल हुआ है। क्यों यह लोग माँ और बच्चे को नामकरण होने तक सबसे दूर रखते हैं? किसी भी अन्य सदस्य को उन्हें छूने नहीं देते। मानती हूँ हमारे पूर्वज बड़े बुद्धिमान थे। पहले के समय में चिकत्सा सुविधाएं उतनी अच्छी नहीं थी जितनी अभी हैं। हो सकता है उन्हें लगता हो ऐसे माँ और बच्चे को वायुवाहित बिमारियों एवं संक्रमण से बचाया जा सकता है। पता नहीं कुछ भी हो सकता है।
यह सब मैं इसलिए लिख रही हूँ क्योंकि मेरी पांच ही नवरात्री हुई थी कि मेरे पापा के चचेरे भाई के वहां बच्चा हो गया और हमें नातक लग गया :( । मुझे समझ नहीं आया कि बच्चा होने की ख़ुशी मनाऊँ या नवरात्री न पूरी कर पाने का गम।
great
जवाब देंहटाएंThe sikh gurus vigorously condemned this practice and said that impurity does not lie in human birth but in evil tendencies of the mind. The guru condemned sutak and said:
जवाब देंहटाएं"If one accepts the concept of impurity, then there is impurity everywhere. In cow-dung and wood there are worms. As many as are the grains of corn, none is without life. First, there is life in the water, by which everything else is made green. How can it be protected from impurity? It touches our own kitchen. O Nanak, impurity cannot be removed in this way; it is washed away only by spiritual wisdom."
(SGGS p472)
I agree with your comment...Impurity is everywhere and can only be washed away by spiritual wisdom...kehte hain na soch badi honi chahiye.
जवाब देंहटाएं