मुझे पहले से ही लोगों के जन्मदिन भूलने की बिमारी है। आज भी कुछ ऐसा ही हुआ। मैं अपनी बेस्ट फ्रेंड के पति का जन्मदिन भूल गई। यहाँ पर दिनों का तो कुछ पता ही नहीं चलता बहुत जल्दी निकलते है। ऊपर से अगर वीकेंड चल रहा हो तो फिर कहा कुछ याद रहता है। बहुत डाँठ पड़ी और पड़नी भी चाहिए थी आंखिर गलती भी तो मेरी ही थी। इसी बात पर एक किस्सा याद आ गया थोड़ा पुराना है पर किस्सा तो किस्सा होता है क्या नया क्या पुराना।
२००५ की बात है पढ़ाई पूरी होने में बस अब कुछ ही महीने बचे थे और ये ट्रेनिंग पता नहीं कहा से बीच में आ टपकी।यह भी ज़रूरी थी नहीं तो इतने सालों की मेहनत मिट्टी में मिल जाती । एक तरफ ट्रेनिंग की टेंशन और दूसरे तरफ पिताजी को मानाने की। अपने शहर में कंपनियों के आभाव के कारण ये तो निश्चित था के जाना बाहर ही है पर ये भी पता था के मंजूरी मिलना इतना आसान नहीं। खैर जैसे तैसे मंजूरी मिली और हम निकले दिल्ली की तरफ। पिताजी के राज़ी होने का कारण वो रिश्तेदार थे जो दिल्ली में रहते थे और जिनके वहाँ वो मुझे रखने वाले थे। पिताजी का मानना था के मैं रिश्तेदारों के वहाँ सुरक्षित रहूंगी। सफर काफी अच्छा था खूब खाते पीते हम लोग उनके घर पहुँचे। उन लोगों ने हमारी काफी खातिरदारी की। फिर वो समय आया जिसमे पिताजी ने अपने वहाँ आने का कारण बताया। बस मानो सामने वाली पार्टी को साँप सूँग गया हो। कुछ देर की शांति के बाद वहाँ से एक आवाज़ आई के यहाँ पर होस्टल्स और पी जी बहुत सारे हैं इसकी कम्पनी के पास देखियेगा इसका आने जाने का टाइम बच जायेगा। वैसे देखा जाये तो उनका कहना भी कुछ गलत नहीं था। लड़की की ज़िम्मेदारी अपने में ही बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है और जहाँ दूसरे की लड़की की बात आती है वहाँ पर लोग थोड़ा घबराते ही हैं ऊपर से जगह अगर दिल्ली हो तो हो गया काम।
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पिताजी तो घबरा ही गए किसी बहाने मुझे बाहर बुलाया और कहने लगे चलो वापस कोई ट्रेनिंग नहीं करनी है । मैं तो डर ही गई थी कुछ समझ नही आ रहा था क्या करुँ। बस अब रोना निकलने ही वाला था के अंदर से माताजी की आवाज़ आई "खाना खाने आओ सभी फिर चलते है हॉस्टल देखने " पिताजी मेरे साथ ही खड़े थे बोले" भगवान से प्राथना कर की कोई अच्छा हॉस्टल मिल जाये वरना पी जी में मैं तुझे नहीं रखने वाला । मुझे पी जी सुरक्षित नहीं लगता। " फिर क्या निकल पड़े हॉस्टल ढूँढने। आखिरकार उन्हें ऐसा हॉस्टल मिल ही गया जिसकी वोडेन इन्सान नहीं हिटलर थी। यही वो हॉस्टल था जहा लाइफ में पहली बार मैं अपना जन्मदिन भी भूल गयी।मेरा जन्मदिन मेरे लिए बहुत विशेष होता है। दो महीने पहले से में हल्ला करने लगती हूँ कि मेरा जन्मदिन आने वाला है। पता नहीं एक अजीब सी ख़ुशी होती है जो मैं लिख कर व्यक्त नहीं कर सकती पर अगर वही इन्सान अपना जन्मदिन भूल जाये तो क्या हो? मेरे साथ कुछ ऐसा ही हुआ। मैं सवेरे ८ बजे चली जाती थी और रात के ७:३० बजे घर पहुँचती थी। बहुत जादा व्यस्त रहती थी इसीलिए शायद भूल गयी थी। लेट आती थी इसलिए जल्दी सो जाती थी। जन्मदिन पर रात में सबसे पहला कॉल मेरे घर से ही आया मुझे तो याद ही नहीं था। मैं सो रही थी कि अचानक फ़ोन की आवाज़ से नींद खुली। समझ नहीं आरहा था इतना लेट इन लोगों ने क्योँ कॉल किया। खैर मैंने झट से फ़ोन उठाया तो उधर से आवाज़ आई "हैप्पी बर्थडे टू यू-२ हैप्पी बर्थडे डिअर। ……मीनुली , हैप्पी बर्थडे टू यू " ये पहाड़ियों की नाम बिगाड़ने की आदत बड़ी बुरी होती है। दादी के वक्त से यह प्रथा चली आ रही है। अगर आपका नाम अ ,आ से शुरू होता है तो आपका नाम अनुली पड़ने की बहुत अधित सम्भावना है।ऐसे ही अगर आपका नाम अन्य किसी भी अक्षर से हो, तो उसके पीछे इनुली लगा कर आपका नाम और सुन्दर बन सकता हैं उदाहरण के लिए परुली, गीतुली ,धनुली, मीतुली इत्यादि। अगर आप महिला हैं तो आप भी अपने नाम के पीछे इनुली का प्रयोग कर सकती है,देखिये क्या बनता है। :)