हमने अक्सर यह देखा है जब भी हम किसी कार्य को पहली बार करते हैं तो उसमें कोई न कोई कमी रह जाती है। फिर चाहे बाद में वह कार्य करते करते हम उसमें निपुण ही क्यों न हो जायें। उदाहरण के लिए मेरा पहला ब्लॉग ले लीजिये। मैं हमेशा से चाहती थी कि मेरा पहला ब्लॉग हिंदी भाषा में हो और कुछ हटकर हो। हिंदी भाषा में न लिख पाने के कारण में कुछ निराश सी हो गयी थी। तभी मेरे दिमाग में विचार आया क्यों न रोमनागरी का प्रयोग किया जाये और मैंने अपना पहला ब्लॉग इसी भाषा में लिख डाला। शाम को जब मेरे पति दफ्तर से घर पहुंचे और मैंने उन्हें अपने इस रोमनागरी लिपि में लिखे ब्लॉग के बारे मैं बताया तो उसे पढ़कर वह ठहाके मार कर ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे। मेरे पूछने पर उन्होंने बताया हिंदी भाषा में लिखने का विकल्प इसी में होता है। :( यह सुन में बहुत निराश हो गयी तभी वह मेरी मन:स्थिति का तनाव दूर करते हुए बोले "निराश न हो, अनजाने में ही सही पर तुम्हारा पहला ब्लॉग थोड़ा हटकर ही है " यह सुन मैं मुस्कुराई :) और सोचने लगी कैसे इन्होंने मेरी नकारात्मक सोच को आसानी से बदल दिया।
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