मुझे मालूम है आपको मेरे इस पोस्ट का शीर्षक कुछ अटपटा सा लग रहा होगा। अभी आप यह सोच रहे होंगे की यह केक कलैक्शन क्या बला है और केक को कोई कलेक्ट कर कैसे सकता है? आपने कॉइन,करेंसी , डाक टिकट इत्यादि कलैक्शन सुने होंगे लेकिन केक कलैक्शन नहीं। चलिए अब मैं बता ही देती हूँ। दरअसल बचपन से मुझे भी सबकी तरह अपने जन्मदिन का इंतज़ार रहता है। बचपन में भी मेरा जन्मदिन बड़ी धूम धाम से मनाया जाता था और आज भी। तब मेरे माँ-बाबा मेरा जन्मदिन मानते थे और अभी मेरा पति। इज़्ज़त देते हुए लिखती "मेरे पति" तो लगता एक से ज्यादा हैं। :)
मैं केक का संग्रह अपने द्वारा खींचे गए केक के चित्रों के रूप में करती हूँ। मेरे जन्मदिन में मुझे सबसे ज्यादा ख़ुशी केक काटने से ही मिलती है। कुछ और हो या न हो केक का होना ज़रूरी है। नीचे कुछ तस्वीरें है जो मैं आप लोगों के साथ बाँटना चाहती हूँ।
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बर्थडे केक। |
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बर्थडे केक। |
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बर्थडे केक। |
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बर्थडे केक। |
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वैलेंटाइनस डे केक। |
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एनिवर्सरी केक। |
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तिथि वाला केक। |
अभी आप सोच रहे होंगे ये तिथि वाला केक क्या है? हमारे यहाँ पहले से ही जिस तिथि में मैं पैदा हुई थी उसी दिन हर साल मेरा जन्मदिन मनाया जाता है। पर मुझे ये तिथि कभी समझ नहीं आती थी।मैं अपना जन्मदिन उस एक तारीख को मनाना चाहती थी जब मैं पैदा हुई पर बड़ों की दुनिया मैं बच्चों की चलती कहाँ है। मेरी किसी भी दोस्त को मेरा जन्मदिन याद नहीं रहता था क्योँकि तिथि तो ऊपर नीचे होते रहती है।शादी के बाद भी मेरी माँ ने जब मुझे जन्मदिन की बधाइयाँ दीं तब मुझे मेरा तिथि वाला जन्मदिन याद आया।फिर क्या था जैसे ही पति देव को पता चला उन्होंने बड़ी धूमधाम से मेरा जन्मदिन मनाया। अब यह तो पक्का था जब तारीख वाला जन्मदिन आएगा तो वह ज़ोर शोर से मनाया जायेगा पर उस दिन पति देव घर पर थोड़ा लेट आए और बोले उन्हें एग्गलेस केक नहीं मिला।कुछ तो था उनके हाथ में जो मुझे दिख नहीं रहा था।शायद वो मुझसे छिपाने की कोशिश कर रहे थे। मुझे पता था केक तो लाये होंगे पर अचानक से उन्होंने मुझे मफ़्फ़िन्स का पूरा एक पैकेट पकड़ा दिया और बोले आज इसी से काम चलाना पड़ेगा। अभी भी कही एक उम्मीद तो थी।लग रहा था शायद यह सब मज़ाक ही है पर जब उन्होंने उन मफ़्फ़िन्स पर कैंडल लगाने शुरू किये तो विश्वास हो गया था कि यही काटने होंगे। :(

बाद में जब उनके फ्रेंड्स केक लेकर आये तो पता चला ये सब मज़ाक था :)असली केक तो ये था ---
खूब सारे गुलाबों के साथ
वह दिन बहुत ख़ास बनाया गया मेरे लिए।रात के भोजन के लिए हम सभी लोग ओलिव गार्डन गए। बहुत सारे उपहार मिले।बचपन से आज तक हर साल के नाम पर एक गिफ्ट मिला। तब मैंने मन ही मन सोचा काश मैं ४० साल की होती तो ४० गिफ्ट तो पक्के थे। :)